Tuesday, August 4, 2020

Construction of Bituminous Pavement or Roads

The Bituminous Pavement or Roads are commonly adopted as wearing course.

In the Pavement a wide range of Construction techniques are used.
Stage development is possible in the case of  Bituminous Roads, depending on the traffic demands.

The process of Construction of  Bituminous Roads is control of the consistent Viscosity of the Bituminous aggregate mixture during mixing and Compaction operation.
The following Construction techniques used in bituminous  Roads construction are given.
(I)Interface treatment
the surface of existing payment layer is to be cleaned need to remove dust and direct and a thin layer of bituminour binder is to be sprinkle before the construction of any kind of bituminous layer over this surface.
This treatment is necessary to provide the bond between the old and the new layer.
Types of interface Treatment are given below.
(a) Prime Coat:- 
Bituminous prime coat is the first application of a low viscosity liquid bituminous material over an existing porous or absorbent Pavement surface like WBM base course.

The main objective of priming is to plug in the capillary voids of the porous surface and to bond the loose mineral particles on the existing surface using a binder materials of minimum viscosity which can infiltrate into the surface porous.
(b) Tack Coat:-
Bituminous tack coat is the application of Bituminous material over an existing Pavement surface which is relatively impervious like an existing Bituminous surface or Cement Concrete pavement or previous surface similar the WBM which has already been treated by a Prime Coat.
Bituminous material of higher viscosity similar hot bitumen is used and in cold State, bituminous emulsion may also be applied.
(II) Surface Dressing
Bituminous surface dressing is provided over and existing pavment to serve like thin wearing coat.
To water proof the Pavement surface and to prevent infiltration of surface water.
It provides dust free pavment surface in dry weather and mud free pavment during Rainy season.
(III) Seal Coat
It is generally recommended as a top coat over determinate bituminous Roads which are not impervious.
It is providing to develop resistance texture.
The main function of seal coat are seal the surfacing against the action of water. 
(IV) Access Macadam
Bituminous infiltrate macadam is used as a base course.
(V) Built-up Sprinkle Grouting
Built-up Sprinkle Grouting consists of two layer composite Construction of Compacted crushed aggregate with application of bituminous binder after each layer for bonding.
The total Compacted thickness of this layer is 75 mm.
(VI) Premixed Operation
In this method the aggregate and bituminous binder are mixed throughly before spreading and compacting.

 

स्वच्छता परियोजना (Sanitary Project)

स्वच्छता परियोजना (Sanitary Project)
शहरों के लिए पेय जल आपूर्ति परियोजना
( Water Supply Project) बनाने के बाद स्वच्छता परियोजना (Sanitary Project) की भी आवश्यकता पड़ती है।
 जिससे शहर को पेयजल सप्लाई (Water Supply) किया गया स्वच्छ जल बाद में, मल जल तथा दूषित पानी के रूप में घरों से बाहर आ रहा है। उसका भी वैज्ञानिक तरीके से समापन हो सके।
स्वच्छता परियोजना तैयार करते समय निम्न बिंदुओं पर विचार किया जाना चाहिए।
(१). शहर की जनसंख्या(Population)वर्तमान तथा अभिकल्पन काल के अंत में ज्ञात कर लेना चाहिए।
(नोट:-परियोजना के लिए डिजाइन पीरियड 30 से 40 वर्ष लेना उचित रहता है।)
(२). शहर के विकास की दिशा
(३). सीवेज तथा अपशिष्ट द्रव के स्रोत
(४). सीवेज की मात्रा(Quantity of Sewage)
(५). सीवेज की गुणवत्ता(Quality of Sewage)
(६). सीवेज समापन की वर्तमान विधि, यदि कोई उपलब्ध हो।
(७). क्षेत्र में वर्षा की तीव्रता तथा बर्षा-जल की मात्रा।
(८). क्षेत्र की स्थलाकृति(Topography) तथा समापन स्थल(Disposal Site) का चयन।
(९). सीवेज समापन की प्रस्तावित विधियां(Proposed method)।
(१०). परियोजना के लिए वित्तीय स्तोत्र(Economical Source)

स्वच्छता परियोजना की रिपोर्ट 
(Report of Sanitation Project)
स्वच्छता परियोजना की रिपोर्ट में परियोजना सम्बंधित निम्नलिखित आवश्यक तथ्य पर विचार करने चाहिए।
(१). सीवेज निपटान/समापन की वर्तमान स्थिति तथा परियोजना विशेष की आवश्यकता।
(२). सीवेज की मात्रा स्रोत समापन विधि समापन मानक इत्यादि।
(३) सीवर सरेखण, ढाल, विन्यास तथा संबंधित निर्माण की रूपरेखा।
(४). पंप उपकरण, संयंत्र प्लांट व मशीनरी की आवश्यकता तथा प्राप्ति स्रोत।
(५).परिजनों के लिए कुशल/अकुशल कर्मचारियों की उपलब्धि तथा निर्माण प्रक्रिया।
(६).कुल जनसंख्या, जिससे परियोजना से लाभ प्राप्त होगा।
(७). परियोजना पर कुल आय व स्रोत तथा वित्तीय साधन।
(८).परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण तथा मुआवजे की धनराशि।
(९).परियोजना के लिए पूरा होने वाला अवधि समय।
(१०). परियोजना की सार्थकता
(११). अन्य सूचना जो परियोजना से संबंधित हो।



Sunday, August 2, 2020

व्यक्ति के दैनिक स्वच्छता के महत्व से आप क्या समझते हैं? इसका इंजिनियरिंग क्षेत्र से क्या सम्बन्ध है?

आरोग्य जीवन व्यतीत करने और दीर्घायु पाने के लिए मानव जीवन में स्वच्छता (Sanitation) का बड़ा महत्व है।
स्वच्छता का क्षेत्र अपने शरीर की सफाई तक सीमित नहीं है। 
अपने आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ रखना उतना ही आवश्यक है। जितना अपने शरीर की सफाई।
अनेक अकस्मात  फैलने वाले रोगों का कारण दूषित तथा गंदे वातावरण में जीवन व्यतीत करना है। 
जहां दूषित जल का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। 
 वहां आसपास की गंदगी से उत्पन्न दूषित गैस  तथा मल मूत्र पर पनपने वाली मक्खियां कीटाणु भी मानव शरीर को भयानक रोगों का शिकार बना कर छोड़ते हैं।
आज का साधारण मनुष्य जीवन स्तर को प्राप्त करने के लिए गांव छोड़कर शहरों की ओर भाग रहा है।
जनसंख्या अत्यधिक बढ़ जाने से शहर अपनी सीमाओं से बाहर आ गए हैं। 
जिसके कारण नागरिकों को शुद्ध पानी और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। और अच्छे तथा सुंदर कहलाने वाले वाले नगर गंदी बस्तियों (Slums)  में परिवर्तित हो रहे हैं।
चित्र -स्लम,‌गन्दी बस्तियो
 इन गंदी बस्तियों के दूषित वातावरण में रहने से मनुष्य को आधुनिक जीवन स्तर से वंचित हो गया है। उल्टा मनुष्य का अपना विकास रूक गया है।
 शुद्ध पानी तथा स्वच्छ वातावरण में सांस लेने के लिए इन गंदी बस्तियों से कहीं दूर भागे जाने के लिए भी तैयार हैं। 
इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए आज स्वच्छता इंजीनियरिंग (Sanitation Engineering) का महत्व बहुत बढ़ गया है।
 स्वच्छता प्रबंधन के लिए राज्यों में जन स्वास्थ्य इंजिनियरिंग विभाग(Public Health Engineering Department) स्थापित है। जो जल आपूर्ति के साथ-साथ स्वच्छता प्रबंधन(Sanitation Management) तथा सीवेज उपचार प्लांट(Sewage Treatment Plant)  के निर्माण (Construction) और अनुरक्षण (Maintenance) का कार्य करता है।
स्वच्छता अभियांतिकी (Sanitation Engineering) मे वाहित मल(Sewage) का भूमिगत नालियों (Sewers)  द्वारा नगर (City) से बाहर ले जाकर आधुनिक विधियों से निपटारन/समापन(Disposal) किया जाता है।

स्वच्छता प्रणाली के चरण (Stages of Sanitation)
स्वच्छता प्रणाली के निम्न 3 चरण होते हैं। जो निम्नलिखित हैं।
(1)अपशिष्ट संग्रह(Collection of Refuse) :-इसके अंतर्गत नगर के ठोस,  अध्दठोस व द्रव अपशिष्ट पदार्थों को अलग-अलग इकट्ठा किया जाता है।
(2) अपशिष्ट परिवहन(Collection of Refuse):- शुष्क अपशिष्ट ठेलो या ट्रैक्टरों द्वारा शहर से बाहर लाया जाता है। वाहित मल को भी भूमिगत नालियों द्वारा शहर से बाहर ले जाया जाता है।
(3) अपशिष्ट का निपटान(Disposal of Refuse):- 
ठोस अपशिष्ट पदार्थों व मल- जल का अलग-अलग ढंग से निपटान किया जाता है। कचरे को गड्ढों में भर या दबा दिया जाता है।
 सीवेज(Sewage) को संभव होने पर थोड़ा बहुत उपचार करक समीपवर्ती किसी नदी नाले में डाल दिया जाता है। जहां साधन उपलब्ध है। वहां पर
सीवेज का पूर्ण उपचार व समापन किया जाता है।

सफाई पद्धतियां (System of Sanitation)ह
अपशिष्ट पदार्थों को संग्रह करके निपटान की दो पद्धति अपनाई जाती हैं।
1.मल वहन या शुष्क पद्धति
 (Conservation System or Dry System)
2.जल वाहन पद्धति
(Water Carriage System),

(1) मल वहन पध्दति 
Conservation System or Dry System
मल वहन पद्धति में अलग-अलग प्रकार के अपशिष्ट पदार्थों को अलग-अलग ढंग से इकट्ठा किया जाता है। और उनका अलग-अलग समापन किया जाता है।
(I) सूखा कूड़ा (Garbage):-
सड़कों और गलियों में उचित दूरी पर कूड़ा पात्र स्थापित किए जाते हैं।जहां पर लोग घरों का कचरा लाकर डाल देते हैं। दिन में एक या दो बार इस कूड़ा करकट को इकट्ठा करके ठेलागाड़ी या ट्रकों द्वारा नगर से बाहर ले जाया जाता है।
 और इस को जला दिया जाता है। या जमीन में खाई या गड्ढों को खोदकर दबा दिया जाता है।
 गड्ढौ के भर जाने पर इसे अच्छी मिट्टी से ढक दिया जाता है।
(II) वर्षा जल:- गन्दा पानी और वर्षा जल खुली नालियों द्वारा  शहर से बाहर लेकर जाया जाता है। और किसी नदी नाले या प्राकृतिक गड्ढे में छोड़ दिया जाता है। यदि ऐसा नहीं किया जा सकता है तो घरों से बाहर होकर सोक पिट् (Soak Pit) बनाकर उसमें डाल दिया जाता है।
(III)मल-मूत्र (Night Soil):- मल मूत्र के लिए सुखी लैट्रिन में बात रखे जाते हैं या मल टोकरी में या पात्रों में कैद करके शहर से बाहर ले जाकर खाई में डाल दिया जाता है खाई के मर जाने पर इसे मिट्टी से ढक दिया जाता है और कुछ समय के बाद खाद में परिवर्तित हो जाता है।
A.) Merits of Conservancy System
१.इस पद्धति में सुखी लैट्रिन बनाने में कम खर्च आता है और कम पानी की आवश्यकता होती है गंदा पानी सामान खुली नालियों में बहता है
२.मानव मल खाद के रूप में खेती के लिए काम आता है।
३. यह एक सस्ती प्रक्रिया है।
B.) Demerits of Conservancy System
१.) यह एक अस्वास्थ्य कर प्रणाली है मल मूत्र के गलने चढ़ने से दुर्गंध उत्पन्न होती है जिसे वातावरण दूषित हो जाता है और कई बीमारियां फैलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
२.) मल गंदगी से भरी बैलगाड़ी और ठेले जब शहर की संकरी गलियों सड़कों से निकलते हैं तो लोगों को परेशानी होती है
३.) इस पद्धति में मल मूत्र शौचालयों और मल कुंडों में पड़ा सड़ता रहता है। जिससे दुर्गंध पैदा होती है। और गंदगी फैलती हैं। और मक्खियों का जमा होता है। जिससे वातावरण दूषित हो जाता है।
४.) यह सफाई पद्धति एक विशेष वर्ग के लोगों पर थोपी गई है। जिसे मेसतर या भंगी कहते हैं।
 वह किसी भी समय झाड़ू पट्टी छोड़कर हड़ताल कर सकते हैं। अथवा इस कार्य को मना कर सकते हैं। पुराने समय में यह पद्धति उपयोग में लाई जाती थी किंतु अब ऐसी पद्धति का समाज को बहिष्कार करना चाहिए। जिससे समाज में सामाजिक अन्याय उत्पन्न होता है।
 आज के आधुनिक युग में एक मनुष्य का मल दूसरे आदमी द्वारा उठाया जाए, यह एक घोर सामाजिक अन्याय है। यह पद्धति बनाए रखना आज के सभ्य समाज पर एक कलंक है।

(2) जल वहन पद्धति
(Water Carriage System)
इस पद्धति में मल मूत्र को पानी द्वारा भूमिगत नालियों में बहा कर नगर से बाहर ले जाया जाता है और वैज्ञानिक अथवा तकनीकी द्वारा इसका समापन या निपटान किया जाता है। क्योंकि इस पद्धति में पानी की मुख्य भूमिका है।
 इसलिए इसे जल वहन पद्धति का जाता है।
 मल बहाने के लिए पानी सबसे सस्ता तथा हर जगह प्राप्त होने वाला स्रोत है।
इसमें घरों के अंदर फल्श लैटरीन (Water Closet) बनाई जाती है। जिसमें मल बहाने के लिए पानी की टंकी( Flushing Cistern) लगी रहती है। प्रयोग के बाद चैन खींचने पर फ्लशिंग टंकी से 10 से 15 लीटर पानी तेजी से मल पात्र में घुसता है। और मल इत्यादि को बहा कर सिविर में ले जाता है। सीवर में बहता हुआ यह गंदा पानी शहर से बाहर चला जाता है।
वाहित मल या सीवेज जो इस तरह का बनाया जाता है। इसमें पानी की सबसे ज्यादा मात्रा 99.99% होती है। और ठोस पदार्थ केवल 0.1% ही होते हैं। यह बड़ी आसानी से ढालूदार सीवर में बह जाता है।



Wednesday, July 29, 2020

What is Method of Construction of Gravel Roads?

Construction of Gravel Roads
Gravel roads are considered superior to Earthen Roads as they can carry heavier traffic.

this type of road can take about 100 tonnes of Pneumatic tyred vehicle or 60 tonnes of iron tyred vehicles per day per lane. 
the camber provided on this type of road is between 1 in 25 and 1 in 30.

Two types of Construction methods are given below.

(I) Feather Edge Type
it is Constructed over the Subgrade with varying thickness, so as to obtain the desired cross slope for the pavement surface.
(II) Trench Type
in the trench type, the Subgrade is prepared by excavating a shallow trench. 
Figure:-(1) Types of gravel road sections

The Construction of Gravel Roads may be divided into following steps.
(I) Construction Material
Hard variety of crushed stone or gravel of specified gradation is used. 
Rounded stones and river gravel are not preferable as there is poor interlocking. 
Gravel to be used for the construction is stacked along the sides of proposed road.
(II) Alignment Location
the central line and Road ages are marked on the ground along the alignment with the help of reference pegs.
(III) Pavement Structure
the layer is rolled using smooth wheel rollers starting from the edges and proceeding towards the centre with an overlap of atleast half the width of roller in the longitudinal direction.
 (IV) Opening to Road Traffic 
A few days after the final rolling and drying out, the road is opened  to the traffic. 

What is Construction of Earthen Roads,Types of Highway Construction

Types of Highway Construction
the highway construction types are various given below.
(1) Earth roads.    (2) Gravel road
(3) Soil Stabilized Roads 
(4) Water Bound Macadam (WBM) Roads
(5) Bituminous Roads
(6) Cement Concrete Roads
Construction of Earthen Roads 
an earthen road is the cheapest type of road prepared from natural soil. 
the pavement Section is totally made up of the soil available at site.
the maximum cross slope 1 in 2 is recommended to avoid erosion due to rain water and formation of cross ruts. the steep cross slope helps to keep the pavement surface free of standing water, otherwise the soil being previous the water would damage the pavement Section by softening.
the Construction of Earthen Roads  may be divided into following steps.
(a)  Construction Material
the pavement Section is totally made up of the soil available at site or nearby which is free from organic substances.
(b) Alignment Location
the centre line and road edges are marked on the ground along the road alignment by dividing wooden pegs .
the spacing of reference pegs depends on the estimated length of road Construction in a day.
(c) Preparation of Sub- Grade
the various operations involved in the Construction of sub Grade are clearing site, Excavation and Construction of soil fills to bring the road to a desired grade and shaping of sub grade.
(d) Construction of Pavement Structure
the soil is mixed, spread and rolled in Layers such that the Compacted thickness of each layer does not exceed 10 Centrimeter.
At least 95% of maximum dry density (MDD) is considered desirable
(e) Opening to traffic
The Compacted earth road is allowed to dry out for a few days before opening to traffic.

Tuesday, July 28, 2020

Design Elements in Highway Embankments

The Design Elements of highway embankment are following points.
(1) Height:- the height of embankment depends on the desired grade line of the highways, topography, stability of foundation and the soil Profile.
(2) Embankment Material:- Granular Soil is generally preferred as Highway Embankment Material.
The best of the soils existing locally is often selected with a view to keep the lead and lift as low as possible.
(3) Settlement of Filling Material:-
If the embankment foundation consists of compressible soil with high moisture content, the consolidation can occur due to increase in the load. 
To accelerate the rate of consolidation of saturated foundation clay, vertical drains are Constructed.
(4) Stability of Foundation:-
Stability of Foundation is required in case of weak soil just beneath or at a certain depth below of embankment foundation and in case of high Embankments.
(5) Stability of Slope:- 
The Embankment slopes should be stable enough to eliminate the possibility of a failure under adverse moisture and other conditions.
Often much flatter slopes are preferred in Highway Embankment due to aesthetic and other reason.

Friday, May 22, 2020

Why is the pile intregity test is done? What do you mean by PIT Test of Piles?

PIT :- "Piles Integrity Test"
A pile integrity test is done to ensure such defects are not there. 
A defective pile would not carry the desired load, and may lead to catastrophic failure of the superstructure. each and every piles tested. But that is costly.

Hence 5–10% of the total number is tested, at critical locations. 
If a failure is detected. More tests are done.
If a pile fails in this test, load testing is done to ascertain the load bearing capacity, and the pile layout is amended accordingly. 
New piles are made of required. 
this is done before casting the pile cap.
Note:-Piles being underground, visual inspection for flaws in concrete like honeycomb, gaps, fissures etc. cannot be done.

Types of drawings in any construction project:

Types of drawings in any construction project: 1. IFC Drawing: Detailed drawings considered final, issued, and approved by the design team f...