Sunday, July 17, 2022

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 16 जुलाई 2022 शनिवार को जालौन के कैथरी गांव में बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को जनता को समर्पित करेंगे।
296 किमी लम्बी एक्सप्रेस वे से चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरेया और इटावा जिले सीधे जुड़ेंगे।
यह 14850 करोड़ ₹ की लागत से बना है।

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की शुरुआत के साथ ही चित्रकूट से दिल्ली तक का 630 किमी का सफर 6 से 7 घंटे में पूरा हो सकेगा।

फूलों की घाटी, उत्तराखण्ड

चार हजार से अधिक पर्यटक पहुंच चुके फूलों की घाटी

फूलों की घाटी इन दिनों पयर्टकों से गुलजार हो रखा है।

यहां इन दिनों बह्मकमल के साथ 100 से अधिक प्रजातियां के रंग बिरंगे फूल अपनी छठा बिखेर रहे हैं। घाटी में अभी तक 4100 से अधिक पर्यटक पहुंच चुके है।

फूलों की घाटी में हर दिन कई प्रकार के फूल खिल रहे हैं।

हर दिन यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।

15 जुलाई 2022 को यहां 84 पर्यटक पहुंचे।

फूलों की घाटी को 1 जून 2022 से पर्यटकों के लिए खोला गया था।

वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल ने बताया कि फूलोकी घाटी में इन दिनों बह्मकमल के अलावा अन्य प्रजातियां के 100 से अधिक फूल खिले हुए हैं।
फूलों की घाटी में 1 जून 2022 से 15 जुलाई 2022 तक 4100 से अधिक पर्यटक पहुंच चुके है।

Thursday, January 21, 2021

MORTH has Constructed 8169 Km of NH from 15 April 2020 to 15 January 2021

MORTH has Constructed 8169 Km of NH from 15 April 2020 to 15 January 2021 
मोदी सरकार ने बनाया नया रिकॉर्ड!
  अंतिम सप्ताह में, नितिन गडकरी ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की अध्यक्षता की और 534 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कर एक रिकॉर्ड बनाया, जिसकी शुरुआत 8 जनवरी 2021 से हुई। 
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 8,169 किलोमीटर का निर्माण किया है  राष्ट्रीय राजमार्गों का अप्रैल 2020 से 15 जनवरी 2021 तक यानी लगभग 28.16 किलोमीटर प्रति दिन की गति से।  ●मंत्रालय द्वारा साझा किए गए विवरण के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में इसी अवधि के दौरान, 26.11 किलोमीटर प्रति दिन की गति के साथ कुल 7,573 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया था।
● सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को उम्मीद है कि इस तरह की गति के साथ 31 मार्च 2021 तक 11,000 किलोमीटर Road Construction  लक्ष्य को पार करने में सक्षम होना चाहिए।  
●इस अवधि (अप्रैल 2020 से 15 जनवरी 2021) के दौरान, मंत्रालय ने 7,597 किलोमीटर की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को भी Awarded किया है ।  
●वित्तीय वर्ष 2019-20 में, इसी अवधि के दौरान 3,474 किलोमीटर की परियोजनाओं को सम्मानित किया गया।  इस प्रकार, इस वित्तीय वर्ष में, awarded की  गति भी दोगुनी से अधिक हो गई है
● मंत्रालय ने कहा।  वित्तीय वर्ष 2019-20 में, कुल 8,948 किलोमीटर सड़कों की परियोजनाओं को Awarded  किया गया, जबकि 10,237 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया।
● मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण रिकॉर्ड की उपलब्धि ने इस तथ्य को महत्व दिया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के पहले दो महीने  कोरोनोवायरस प्रकोप के मद्देनजर national lockdown  के कारण खो गए थे।  
●राजमार्ग निर्माण की गति बढ़ाने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा कई पहल की गई हैं।  
●सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि यह उम्मीद है कि देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के बाकी महीनों में बढ़ जाएगी, जो निर्माण गतिविधियों के लिए अनुकूल हैं।

Saturday, December 12, 2020

भूस्खलन,Causes of Landslide

भूस्खलन: - भूस्खलन तब कहा जाता है जब मिट्टी, चट्टानों और अन्य सामग्रियों का एक बड़ा द्रव्यमान पहाड़ या चट्टान की ढलान से नीचे गिरता है।
 यदि ढलान बहुत खड़ी (Steep Slope) है, तो भूस्खलन (Landslide) अधिक खतरनाक हो जाता है।
Causes of Landslide
 भूस्खलन होने के कई कारण हैं।

 भूस्खलन किसी भी चीज के कारण हो सकता है
  यह एक ढलान पर मिट्टी या चट्टानों को अस्थिर करता है।
 1) भूकंप (Earthquakes)  
2) भारी वर्षा (Heavy Rainfall)
 3) वनों की कटाई (Deforestation)
4) भारी मशीनों से कंपन (Vibration of Machines)

Wednesday, December 9, 2020

महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग, मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे, हिंदूधर्मसम्राट बालासाहेब ठाकरे समृद्धि एक्सप्रेसवे,8 घंटे में मुंबई से नागपुर:1 मई २०२१ को खुलने वाला नया एक्सप्रेसवे का पहला चरण

8 घंटे में मुंबई से नागपुर: 1 मई २०२१ को खुलने वाला नया एक्सप्रेसवे का पहला चरण
मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे (जिसे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग या महाराष्ट्र महारथी महामार्ग के नाम से भी जाना जाता है) हिंदूधर्मसम्राट बालासाहेब ठाकरे समृद्धि एक्सप्रेसवे
एक निर्माणाधीन 701 किमी (436 मील) लंबा, 8 लेन एक्सप्रेसवे है, जो महाराष्ट्र, मुंबई और नागपुर की दो राजधानियों को जोड़ता है।  
एक्सप्रेस-वे राज्य के 10 जिलों, 26 तहसीलों और 390 गांवों से होकर गुजरेगा और दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय में 8 घंटे की कटौती करने की उम्मीद है।  
इस परियोजना पर लगभग ₹46,000 करोड़ की लागत आने की उम्मीद है। और इसके लिए 8,603 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की आवश्यकता है।

महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए जिम्मेदार नोडल एजेंसी है, जिसमें पूरी तरह से ग्रीनफ़ील्ड एक्सप्रेसवे (Green Field Expressway) का निर्माण शामिल है, जिसे 150 किमी / घंटा तक के लिए समतल भू-भाग ( Plain terrain) पर बनाया गया है।और पश्चिमी घाट खंड के पर्वतीय भू-भाग   (Mountain terrain) पर 100 किमी / घंटा तक  । 
चित्र सौजन्य:- गूगल इमेज
 राज्य सरकार ने मार्ग के किनारे 24 टाउनशिप (Township) बनाने की भी योजना बनाई है।जिसमें अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, कौशल प्रबंधन केंद्र, आईटी पार्क और शैक्षणिक संस्थान शामिल होंगे।  
परियोजना के लिए 10 जिलों में कुल 20,820 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, जिसमें से 8,520 हेक्टेयर एक्सप्रेसवे के लिए उपयोग किया जाएगा, जबकि 10,800 हेक्टेयर भूमि टाउनशिप के निर्माण के लिए होगी।   
MSRDC को परियोजना के वित्तपोषण के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक  से 27,000 करोड़ के ऋण की प्राप्त है। 
चित्र सौजन्य:- गूगल इमेज
एक्सप्रेसवे पर पूर्व निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए, MSRDC ने परियोजना को पांच पैकेजों में विभाजित करने का निर्णय लिया और प्रत्येक पैकेज के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report) तैयार करने के लिए एक अलग कंसल्टेंसी फर्म को काम पर रखा। 
 सिविल कार्य को अलग से विभाजित करने के लिए 16 पैकेज में विभाजित किया गया था। 

MSRDC ने लैंड-पूलिंग मॉडल ( Land Pooling Model) के माध्यम से परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण करने की योजना बनाई है।  
यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता है, जिससे मई 2021 में RFP (Request for Proposal) मंगाई जाएगी। और जब 80% जमीन की जरूरत होगी, तो कार्यादेश जारी कर दिया जाएगा।
चित्र सौजन्य:- गूगल इमेज
 लैंड पूलिंग पद्धति के तहत, परियोजना और ज़मींदारों के लिए बड़े भूखंडों का अधिग्रहण किया जाएगा, बदले में, विकसित भूमि का 25% से 30% प्राप्त होगा।  इसके अलावा, फसल नुकसान के लिए एक वार्षिक मुआवजा भी उन्हें एक दशक के लिए दिया जाएगा।
चित्र सौजन्य:- गूगल इमेज
 परियोजना को वास्तविकता में बदलने के लिए लगभग 20,820 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी।

Sunday, December 6, 2020

How do crash barriers work? Metal crash barriers ( Semi -Rigid type)

Metal crash barriers ( Semi -Rigid type)
Highway network पर बड़ी या घातक दुर्घटना से बचने के लिए, दुर्घटना सम्भावित स्थानों पर विशेष रूप से पहाडी सड़कों के घाटी किनारों (Valley edges),  उच्च तटबंधों (high embankment), तीव्र/ अंधा घुमाव जैसे स्थानों पर दुर्घटना से बचने के लिए क्रैश बैरियर लगाए जाते हैं।
१) क्रैश बैरियर टकराने वाले गाड़ियों ( Hitting Vehicles) की impact energy को redirecting  और absorbing करने में बहुत उपयोगी होते हैं। और दुर्घटनाओं की गंभीरता( Chances) को कम करते हैं।
2)  दुर्घटना की गंभीरता (Chances) को कम करने के लिए गाड़ियों को क्रैश बैरियर पर टकराने के बाद क्रैश बैरियर का अपने स्थान पर पुनः वापस आ जाना सुनिश्चित होना चाहिए।
३) जब गाड़ियां क्रैश बैरियर से टकराता है। तब साधारण रूप में या सुनिश्चित किया जाता है। कि क्रैश बैरियर deflection के लिए उपलब्धि स्थान से अधिक दूरी के लिए Deflect नहीं होना चाहिए।
४) क्रैश बैरियर के पास पर्याप्त ऊंचाई और लंबाई होनी चाहिए। जिससे कि क्रैश बैरियर अपनी जगह से हटे बिना गाड़ी के आघात को सहन करने में सक्षम हो सके।
५) relevant IRC guidelines and technical specification के अनुसार विभिन्न प्रकार के सड़क किनारे crash barrier, type of crash barrier (i.e. concrete crash barrier New Jersey crash barrier metal flexible wire rope barriers) का स्थान निर्धारण किया जाता है।
IRC:119:2015- Guidelines for traffic Safety Barriers से विभिन्न सड़क सुरक्षा अवरोध (Road Safety Barriers) के लिए Guidelines और Specifications निर्धारित किया गया है।
इस Guidelines द्वारा W-Beam और Thrie Beam types Semi -rigid steel barriers को भी सम्मिलित करता है।

यह तय किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर Semi -rigid crash barriers लगाने से पहले यह crash tested road restraint system होना चाहिए। और EN1317- part -2 की आवश्यकताओं को पूर्ण करना चाहिए।

Thursday, December 3, 2020

Plastic Drums or Traffic Channelizers,When Are Channelizer Drums Used?

When Are Channelizer Drums Used?
Plastic Drums or Traffic Channelizers
Drums 
Hight 800 mm to 1000 mm 300 mm in diameter can be used as channelising on warning devices.
These are highly visible, give the appearance of being formidable objects and so that command the respect of drivers.
These can be made of metal as well as Plastic.
Drums may be filled up with soil or sand for stability and strengthen.

दिल्ली सहारनपुर देहरादून एक्सप्रेसवे

9 निर्माण फर्मों ने 18 मई 2022 को  210 किलोमीटर दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे के चरण 3 के 18.47 किलोमीटर पैकेज 2 के निर्माण क...